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#ترجمه_نامه مقام معظم رهبری به زبان روسی
Вершится история и вы стоите на ее правильной стороне
۲۹/۰۵/۲۰۲۴
Во имя Аллаха Милостивого, Милосердного!
Я пишу это письмо молодежи, чья пробужденная совесть подняла их на защиту многострадальных женщин и детей.
Дорогая студенческая молодежь США, это – наше послание единодушия и солидарности с вами. Вы сегодня стоите на правильной стороне истории, которая вершится.
Сегодня вы сформировали часть Сопротивления и развернули благородную борьбу под безжалостным давлением вашего правительства, которое открыто защищает захватнический и безжалостный режим.
Вдали на протяжении долгих лет, руководствуясь этими же вашими сегодняшними соображениями и чувствами, ведет борьбу великий фронт Сопротивления. Цель этой борьбы – остановить вопиющее насилие, которое на протяжении многих лет совершает над народом Палестины террористическая и безжалостная сеть под названием сионисты, которые после захвата его страны подвергли его самым страшным пыткам и давлению.
Совершаемый сегодня сионистским режимом апартеида геноцид является продолжением весьма насильственного поведения десятков минувших лет. Палестина – это независимая территория, которая включает в себя народы, исповедующие ислам, христианство и иудаизм и с огромным историческим прошлым.
Капиталисты сионистской сети после мировой войны при поддержке британского правительства постепенно переправили на эти земли несколько тысяч террористов. Они напали на их города и села, истребили десятки тысяч человек или изгнали их в соседние страны, отняли у них их дома, рынки, посевные поля, а на захваченной территории Палестины создали правительство под названием Израиль.
Самым главным покровителем этого захватнического режима после первой помощи англичан является правительство США, которое продолжает оказывать политическую, экономическую и военную поддержку этому режиму и даже, проявив непростительную неосторожность, открыло для него путь производства ядерного оружия и оказало ему помощь в этом деле.
Сионистский режим с первых дней применяет в отношении беззащитного народа Палестины политику железного кулака, и, игнорируя все ценности совести, человеческие и религиозные ценности, с каждым днем увеличивает свое жестокосердие, террор и репрессии.
Правительство США и их союзники, несмотря на этот терроризм и непрекращающееся насилие, даже не нахмурились, и сегодня некоторые заявления правительства США в отношении страшного преступления в Газе являются не столько правдивыми, сколько лицемерными.
Фронт Сопротивления образовался вследствие этой темной и разочаровывающей атмосферы, а формирование в Иране правительства Исламской Республики расширило его и придало ему силы.
Заправилы международного сионизма, которым принадлежат основные масс-медийные компании – либо находятся под влиянием их денег и взяток – в США и Европе, называют это человеческое и смелое Сопротивление терроризмом. Разве народ, который на родной земле защищается от преступлений сионистских захватчиков, является террористом?! Разве человеческая помощь этому народу и наращивание его мощи считается помощью терроризму?
Заправилы карательного мирового господства безжалостны даже в отношении человеческих понятий. Они выдают террористический и безжалостный режим Израиля как самообороняющийся, а Сопротивление Палестины, которое защищает свою свободу, безопасность, и право на самоопределение, они называют террористом.
Я хочу заверить вас в том, что положение в настоящее время меняется. Чувствительный регион Западной Азии ожидает другая судьба. Пробудилась совесть многих в мировых масштабах, и истина проясняется.
Фронт Сопротивления в свою очередь стал более сильным и станет еще сильнее.
История же вершится.
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Помимо вас, студентов десятков вузов США, поднялись университеты и народы и в других странах. Помощь и поддержка преподавателями вузов вас, студентов, является важным и влиятельным событием, это может в некоторой степени выступать как успокоение в отношении жандармского поведения правительства и оказываемого на вас давления. Я в свою очередь сопереживаю вам, молодежи, и высоко ценю вашу стойкость.
Коран учит нас, мусульман, и
все народы мира стойкости на пути Истины: «Будь же стоек на прямом пути, как тебе велено …», (۱۱:۱۱۲). Касательно человеческих отношений Коран учит не совершать насилия и не поддаваться насилию: «… Не творите произвола, тогда и над вами не свершится произвол», (۲:۲۷۹).
Фронт Сопротивления, внемля и выполняя эти и сотни похожих предписаний, движется вперед и достигнет победы, по воле Аллаха.
Рекомендую вам познакомиться с Кораном.
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#ترجمه_نامه مقام معظم رهبری به زبان عربی
بسم الله الرّحمن الرّحيم
أكتب هذه الرّسالة للشّباب الذين حثّتهُم ضمائرُهم الحيّة على الدّفاع عن نساءِ غزّة وأطفالِها المظلومين.
أيّها الشبابُ الجامعيّون الأعزّاء في الولايات المتّحدة الأمريكيّة! إنّها رسالةُ تعاطفنا وتآزرنا معكم. لقد وقفتُم الآن في الجهة الصحيحة منَ التاريخ، الذي يطوي صفحاته.
أنتُم تُشكّلون الآن جزءًا من جبهة المقاومة، وقد شرعتُم بنضالٍ شريفٍ تحتَ ضُغوطِ حكومتكم القاسية، التي تُجاهر بدفاعِها عن الكيان الصهيوني الغاصب وعديمِ الرَّحمة.
إنَّ جبهة المقاومة العظيمة تُكافح منذُ سنين، في نقطةٍ بَعيدةٍ [عنكُم]، بالإدراكِ نَفسهِ وبالمشاعرِ ذاتِها التي تعيشونَها الآن. والهَدفُ من هذا الكفاحِ هوَ وَقفُ الظّلمِ الفاضِحِ الذي ألحَقتهُ شبكةٌ إرهابيّةٌ عديمةُ الرّحمة تُدعى الصهيونية بالشّعب الفلسطينيّ، مُنذ أعوامٍ خَلت، ومارسَت بحقّهِ أقسى الضُّغوط وأنواعِ الاضطهاد بعد أن احتَلّت بِلاده.
إنّ الإبادة الجماعيَّة التي يَرتكبها اليوم نظام الفصل العنصريّ الصهيوني، هي استمرارٌ لسلوكه الظّالم جدًّا خلال العُقود الماضية.
إنَّ فلسطين أرضٌ مستقلّةٌ ذاتُ تاريخٍ عريقٍ، وشعبٍ يجمع المسلمين والمسيحيّين واليهود.
لقد أدخل رأسماليّو الشبكَة الصَهيونيّة بعد الحرب العالميّة، وبدعمٍ من الحكومة البريطانيّة، عدَّة آلافٍ من الإرهابيّين إلى هذه الأرض على نحوٍ تدريجي، وهاجموا مُدُنها وقُراها، وقتلوا عشرات الآلاف أو هَجّروهم إلى دولِ الجوارِ، وسلبوهم البيوت والأسواق والمزارع، ثُمّ أسّسوا في أرض فلسطين المُغتصبة كيانًا يُدعى “إسرائيل”.
إنّ أكبر داعمٍ لهذا الكيان الغاصب، بعد المساعدات البريطانيّة الأولى، هو حكومة الولايات المتحدة الأمريكيّة التي ما زالَت تُقدّم مختلف أنواعِ الدّعم السياسيّ والاقتصاديّ والتسليحيّ لذاك الكيان بنحوٍ متواصلٍ، كما أنّها بمُجازفتها التي لا تُغتفر، أشرعت الطريق أمامه لإنتاجِ السلاحِ النوويّ وأعانتهُ في هذا المسار.
لقد انتهَج الكيان الصَّهيوني، مُنذ اليوم الأوّل، سياسة القَبضة الحَديديّة في تَعاطيه مع شعب فلسطين الأعزل، وضاعفَ، يومًا بعدَ يوم، قسوته واغتيالاته وقمعه، من دون الاكتراث لكلّ القيم الوجدانيّة والإنسانيّة والدينيّة.
كما أنَّ الحُكومة الأمريكيّة وشركاءَها امتنعوا حتّى عن إبداء استيائهم، ولو لمرّةٍ واحدةٍ، إزاء إرهاب الدولة هذا، والظلم المتواصل. واليوم أيضًا، إنَّ بعض تصريحاتِ حكومة الولايات المتّحدة حول الجريمة المروّعة في غزّة، هي نفاقٌ ليس إلّا.
لقد انبثقت جبهةُ المقاومة من قلب هذه الأجواءِ المظلمة، التي يخيّمُ عليها اليأسُ، وعزّز رفعتها وقوّتها تأسيسُ حكومة الجُمهوريّة الإسلاميّة في إيران.
لقد قدّم قادة الصّهيونيّة الدوليّة، الذين يستحوذون على معظم المؤسسات الإعلاميّة في أمريكا وأوروبا أو يُخضِعونها لنفوذ أموالهم والرُّشا، هذه المقاومة الإنسانيّة والشّجاعة على أنّها إرهاب؛ فهل الشّعبُ الذي يدافع عَن نفسه في أرضه أمام جرائم المحتلّين الصهاينة إرهابيٌّ؟! وهل يُعدُّ الدّعم الإنساني لهذا الشّعب وتعضيد أذرعه دَعمًا للإرهاب؟!
إنَّ قادة الغطرسة العالميّة لا يرحمون حتّى المفاهيم الإنسانيّة! إنّهُم يقدّمون الكيان الإسرائيليّ الإرهابيّ عديم الرحمة مُدافعًا عن النّفس، وينعتون مقاومة فلسطين، التي تُدافع عن حريَّتها وأمنِها وحقِّها في تقرير مصيرها، بالإرهاب.
أودُّ أن أُطمئِنكم بأنَّ الأوضاع في طور التغيير اليوم، وأنَّ أمام منطقة غَربي آسيا الحساسة مصيرٌ آخر. لقد صحت ضمائر كَثيرة على مستوى العالَم، فالحقيقة في طورِ الظُّهور.
كما أنَّ جبهة المُقاومة باتت قويّةً، وستَغدو أكثر قُوّةً.
التاريخُ يطوي صفحاتِه أيضًا.
وبِمُوازاتكُم أيّها الطلاب من عشرات الجامعات في الولايات المتحدة، نَهَضت الجامعات والنّاس في سائر الدول أيضًا. إنّ مؤازرةَ أساتذة الجامعات ومُساندتَهم لكم، أيّها الطلّاب، حدثٌ مهمٌّ ومؤثّرٌ، يُمكن له أن يُريح أنفسكم بعضَ الشيء إزاء سُلوك الحكومةِ «البوليسيِّ» الفظّ، والضغوط التي تمارسها بحقّكُم. أنا أيضًا أشعر بالتَّعاطف معكُم، أيّها الشبابُ، وأثمّن صمودكُم.
إنّ درسَ القرآن الموجّه إلينا، نَحنُ المسلمين، وإلى جميعِ الناس حول العالم، هو الثّباتُ على طريق الحقّ: {فَاسْتَقِمْ كَمَا أُمِرْتَ} (هود، ۱۱۲)، كما أنّ درس القرآن بشأن العلاقات بين البشر هو: {لَا تَظْلِمُونَ وَلَا تُظْلَمُونَ} (البقرة، ۲۷۹).
جبهةُ المقاومة، وبالاستلهام من هذه التعاليم والمئات من مثيلاتِها والعمل بها، تَمضي قُدُمًا، وسوف تُحقّقُ النّصر بإذن الله.
أوصيكُم أن تتعرّفوا إلى القرآن.
السّيد علي الخامنئي
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#ترجمه_نامه مقام معظم رهبری به زبان هندی
इतिहास अपना पन्ना पलट रहा है और आप उसकी सही दिशा में खड़े हैं
30/05/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई का ख़त
संयुक्त राज्य अमरीका के जवानों और स्टूडेंट्स के नाम
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
मैं यह ख़त उन जवानों को लिख रहा हूँ जिनकी जीवित अंतरात्मा ने उन्हें ग़ज़ा के मज़लूम बच्चों और औरतों के समर्थन के लिए प्रेरित किया है। संयुक्त राज्य अमरीका के अज़ीज़ स्टूडेंट्स! यह हमारी आपसे सहृदयता और समरसता का पैग़ाम है। इस वक़्त आप इतिहास की सही दिशा में, जो अपना पन्ना पलट रहा है, खड़े हुए हैं।
आज आप रेज़िस्टेंस के मोर्चे का एक भाग बन गए हैं और आपने अपनी सरकार के निर्दयी दबाव के बावजूद, जो खुलकर क़ाबिज़ व बेरहम ज़ायोनिस्ट सरकार का साथ दे रही है, एक शरीफ़ाना जद्दोजहद शुरू की है।
प्रतिरोध का बड़ा मोर्चा आपसे बहुत दूर एक इलाक़े में, आपके आज के इन्हीं जज़्बात और भावनाओं के साथ, बरसों से संघर्ष कर रहा है। इस संघर्ष का लक्ष्य उस खुले ज़ुल्म को रुकवाना है जो ज़ायोनिस्ट नाम के एक आतंकवादी व निर्दयी नेटवर्क ने बरसों पहले फ़िलिस्तीनी क़ौम पर शुरू किया और उसके मुल्क पर क़ब्ज़ा करने के बाद, उसे सबसे कठोर दबाव और यातना का शिकार बना दिया है।
आज अपारथाइड ज़ायोनी सरकार के हाथों हो रहा जातीय सफ़ाया, पिछले दसियों साल से जारी शदीद अत्याचारपूर्ण रवैये के ही क्रम का एक भाग है।
फ़िलिस्तीन एक स्वाधीन सरज़मीन है जो लंबे इतिहास की मालिक एक क़ौम की सरज़मीन है जिसमें मुसलमान, ईसाई और यहूदी शामिल हैं।
ज़ायोनी नेटवर्क के पूंजीपतियों ने विश्व युद्ध के बाद ब्रितानी सरकार की मदद से कई हज़ार आतंकवादियों को धीरे-धीरे इस सरज़मीन पर भेजा, जिन्होंने फ़िलिस्तीन के शहरों और देहातों पर हमले किए, दसियों हज़ार लोगों को क़त्ल कर दिया या उन्हें पड़ोसी मुल्कों की ओर भगा दिया, उनके घरों, बाज़ारों और खेतों को उनसे छीन लिया और क़ब्ज़ा की गयी फ़िलिस्तीन की सरज़मीन पर इस्राईल नाम से एक सरकार बना दी।
इस क़ाबिज़ सरकार की सबसे बड़ी मददगार, अंग्रेज़ों की शुरुआती मदद के बाद, संयुक्त राज्य अमरीका की सरकार है जिसने इस सरकार की राजनैतिक, आर्थिक और हथियारों की मदद लगातार जारी रखी है, यहाँ तक कि नाक़ाबिले माफ़ी असावधानी बरतते हुए परमाणु हथियारों की तैयारी की राह उसके लिए खोल दी और इस सिलसिले में उसकी मदद की है।
ज़ायोनी सरकार ने पहले ही दिन से निहत्थे फ़िलिस्तीनी अवाम के ख़िलाफ़ निर्दयी रवैया अपनाया और सभी इंसानी व दीनी वैल्यूज़ और दिली एहसास को नज़रअंदाज़ करते हुए उसने दिन ब दिन अपनी बर्बरता, जानलेवा हमलों और दमन की शिद्दत बढ़ा दी।
अमरीकी सरकार और उसके घटकों ने इस स्टेट टेररिज़्म और लगातार ज़ुल्म पर ज़रा सी नाराज़गी तक का इज़हार भी नहीं किया। आज भी ग़ज़ा के भयानक अपराधों के सिलसिले में अमरीकी सरकार के कुछ बयान हक़ीक़त से ज़्यादा दिखावा होते हैं।
रेज़िस्टेंस के मोर्चे ने इस अंधकारमय व निराशा से भरे माहौल में सिर बुलंद किया और उसे ईरान में इस्लामी जम्हूरी सिस्टम के गठन से बढ़ावा और शक्ति मिली।
अंतर्राष्ट्रीय ज़ायोनीवाद के सरग़नाओं ने, जो अमरीका और यूरोप के ज़्यादातर मीडिया के या तो मालिक हैं या ये मीडिया उनके पैसों और रिश्वत के प्रभाव में है, इस मानवीय व वीरता भरे रेज़िस्टेंस को टेररिज़्म का नाम दे दिया। क्या वह क़ौम जो क़ाबिज़ ज़ायोनियों के अपराध के मुक़ाबले अपनी सरज़मीन में अपनी रक्षा कर रही है, आतंकवादी है? क्या इस क़ौम की मानवीय मदद और उसके बाज़ुओं को मज़बूत करना, आतंकवाद की मदद है?
निर्दयी वैश्विक साम्राज्यवाद के सरग़ना, मानवीय मूल्यों तक पर रहम नहीं करते। वह इस्राईल की आतंकवादी व निर्दयी सरकार को, सेल्फ़ डिफ़ेस करने वाली क़रार देते हैं और फ़िलिस्तीन के रेज़िस्टेंस को जो अपनी आज़ादी और भविष्य के निर्धारण के अधिकार की रक्षा कर रहा है, आतंकवाद कहते हैं।
मैं आपको यह यक़ीन दिलाना चाहता हूँ कि आज स्थिति बदल रही है। एक दूसरा भविष्य, पश्चिम एशिया के संवेदनशील इलाक़े की प्रतीक्षा में है। विश्व स्तर पर बहुत सी अंतरात्माएं जाग गई हैं और सच्चाई सामने आ रही है।
प्रतिरोध का मोर्चा भी ताक़तवर हो गया और ज़्यादा ताक़तवर होगा।
इतिहास भी करवट ले रहा है।
संयुक्त राज्य अमरीका की दसियों यूनिवर्सिटियों के आप स्टूडेंट्स के अलावा दूसरे मुल्कों में भी यूनिवर्सिटियाँ और लोग उठ खड़े हुए हैं। प्रोफ़ेसरों की ओर से आप स्टूडेंट्स का साथ और आप का सपोर्ट एक अहम व प्रभावी वाक़या है। यह चीज़, सरकार के पुलिसिया रवैये और आप पर डाले जाने वाले दबाव में किसी हद तक कमी कर सकती है। मैं भी आप जवानों से एकजुटता का इज़हार करता हूं और आपकी दृढ़ता की क़द्रदानी करता हूँ।
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हम मुसलमानों और दुनिया के सभी लोगों को क़ुरआन का पाठ है, सत्य की राह में मज़बूती से डट जाना। "तो (ऐ रसूल) जिस तरह आपको
हुक्म दिया गया है, साबित क़दम रहें।" (सूरए हूद, आयत-112) और मानवीय संबंधों के बारे में क़ुरआन का पाठ यह हैः "न किसी पर ज़ुल्म करो और न ही ज़ुल्म सहो।" (सूरए बक़रह, आयत-279)
प्रतिरोध का मोर्चा इन आदेशों और ऐसी ही सैकड़ों शिक्षाओं को सीख कर और उन पर अमल करके आगे बढ़ रहा है और अल्लाह की इजाज़त से विजयी होगा।
मैं सिफ़ारिश करता हूँ कि क़ुरआन को समझिए।
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🔹گفت وگوی میان ادیانی اسقف اعظم واتیکان با اساتید جامعةالمصطفی
▫️نشست گفت وگوی میان ادیانی با حضور جمعی از استادان جامعةالمصطفی و اسقف اعظم و سفیر واتیکان، در سالن عارف حسینی مجتمع جامع امام خمینی(قدس سره) برگزار شد.
🔰متن کامل خبر
https://news.miu.ac.ir/?p=25224
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«با دلی آرام، و قلبی مطمئن، و روحی شاد، و ضمیری امیدوار به فضل خدا از خدمت خواهران و برادران مرخص، و به سوی جایگاه ابدی سفر میکنم. و به دعای خیر شما احتیاج مبرم دارم. و از خدای رحمان و رحیم میخواهم که عذرم را در کوتاهی خدمت و قصور و تقصیر بپذیرد.
و از ملت امیدوارم که عذرم را در کوتاهیها و قصور و تقصیرها بپذیرند. و با قدرت و تصمیم اراده به پیش روند و بدانند که با رفتن یک خدمتگزار در سدّ آهنین ملت، خللی حاصل نخواهد شد که خدمتگزاران بالا و والاتر در خدمتند.».
وصیتنامه سیاسی الهی امامره
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